'सिद्धान्तों से समझौता नहीं' तथा "नियम से ही नियन्त्रण है" यही मेरे जीवन का एकमात्र उद्देश्य रहा है। इसी संकल्पना को साकार करते हुए ही महाविद्यालय की प्राचार्या के रुप में मेरी जीवन यात्रा में एक नवीन आयाम जुड़ा है। बदलते परिवेश में शिक्षा ही एक ऐसा साधन है जिससे सामाजिक मान्यताओं का सम्मान तथा चारित्रिक व नैतिक मूल्यों की स्थापना करके संवेदनशीलता व अनुशासन से छात्राओं का सर्वागीण विकास सम्भव है।
श्री रामेश्वरदास अग्रवाल कन्या महाविद्यालय हाथरस में बालिकाओं के लिए उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थानों में से एक है पिछली अर्धशताब्दी की लम्बी समयवधि से समाज की महिला वर्ग सशक्तीकरण के पुनीत लक्ष्य की प्राप्ति में पूर्ण मनोयोग से रत श्री रामेश्वरदास अग्रवाल कन्या महाविद्यालयों में अग्रगण्य है।
संरक्षक व प्रेरक की भूमिका निभाते हुए संस्थान के हित धारक छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने और समाज के प्रति उनके कर्तव्यों के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए प्रति बद्ध है। ईश्वर के वरद हस्त की छाया में महाविद्यालय उत्कर्ष को प्राप्त करे। इसी आकांक्षा से शुभकामनाओं सहित।
'सिद्धान्तों से समझौता नहीं' तथा "नियम से ही नियन्त्रण है" यही मेरे जीवन का एकमात्र उद्देश्य रहा है। इसी संकल्पना को साकार करते हुए ही महाविद्यालय की प्राचार्या के रुप में मेरी जीवन यात्रा में एक नवीन आयाम जुड़ा है। बदलते परिवेश में शिक्षा ही एक ऐसा साधन है जिससे सामाजिक मान्यताओं का सम्मान तथा चारित्रिक व नैतिक मूल्यों की स्थापना करके संवेदनशीलता व अनुशासन से छात्राओं का सर्वागीण विकास सम्भव है।
श्री रामेश्वरदास अग्रवाल कन्या महाविद्यालय हाथरस में बालिकाओं के लिए उच्च शिक्षा के प्रमुख संस्थानों में से एक है पिछली अर्धशताब्दी की लम्बी समयवधि से समाज की महिला वर्ग सशक्तीकरण के पुनीत लक्ष्य की प्राप्ति में पूर्ण मनोयोग से रत श्री रामेश्वरदास अग्रवाल कन्या महाविद्यालयों में अग्रगण्य है।
संरक्षक व प्रेरक की भूमिका निभाते हुए संस्थान के हित धारक छात्राओं को आत्मनिर्भर बनाने और समाज के प्रति उनके कर्तव्यों के बारे में जागरुकता पैदा करने के लिए प्रति बद्ध है। ईश्वर के वरद हस्त की छाया में महाविद्यालय उत्कर्ष को प्राप्त करे। इसी आकांक्षा से शुभकामनाओं सहित।